tag:blogger.com,1999:blog-22047060.post114287030136982107..comments2023-03-21T06:32:53.146-07:00Comments on नई बातें / नई सोच: मैं मुसलमान क्यों नहींUnknownnoreply@blogger.comBlogger18125tag:blogger.com,1999:blog-22047060.post-60807898235981443012011-11-05T05:43:05.433-07:002011-11-05T05:43:05.433-07:00शोएब भाई, आज आपके ब्लॉग तक पहुँच पाया हूँ। और आपके...शोएब भाई, आज आपके ब्लॉग तक पहुँच पाया हूँ। और आपके विचारों को पढ़ कर मुझे अब ये लगने लगा कि मैं इस दुनिया में अकेला नहीं हूँ जो ऐसा ही दृष्टिकोण रखते हैं जैसा कि मैं रखता हूँ बस फर्क सिर्फ इतना है कि मैं एक हिन्दू राष्ट्र और हिन्दू परिवार से हूँ और आप मुस्लिम राष्ट्र और मुस्लिम परिवार से है। मैं आपके इस लेख से बहुत प्रभावित हूँ और मैं चाहता हूँ कि आपके इस लेख को अपने शब्दों में अपने ब्लॉग पर भी लिखूँ। आशा है आप मुझे इसकी इजाज़त देंगे। और आगे भी मैं चाहूँगा आप इसी तरह लिखते रहें मैं आपके साथ हूँ।SDhttps://www.blogger.com/profile/16804765271951669067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-22047060.post-85334348865201712242009-11-16T05:23:14.252-08:002009-11-16T05:23:14.252-08:00shuheb bhai aapake vichar bahut hi saf hai...........shuheb bhai aapake vichar bahut hi saf hai........Vikas Kumarhttps://www.blogger.com/profile/08319821249539342254noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-22047060.post-1144128480948996672006-04-03T22:28:00.000-07:002006-04-03T22:28:00.000-07:00बिलकुल सहमत हूँ - पहले देश बाकी सब बाद में. यदि को...बिलकुल सहमत हूँ - पहले देश बाकी सब बाद में. यदि कोई भी धर्म देश की उन्नति, शाँति या अखंडता को खतरा पहुँचाता है तो गोली मारो ऐसे धर्म को - अरे भैय्या अगर देश ही नहीं रहेगा तो हम सब धर्म का मुरब्बा डालेंगे क्या?<BR/><BR/>काश सारे भारतीय ऐसे सोच पाते...अतुल श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/17285074473402112374noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-22047060.post-1143564040587534572006-03-28T08:40:00.000-08:002006-03-28T08:40:00.000-08:00शुऐब, पढ़ने में थोड़ी देर हो गई लेकिन वाकई एक मुसल...शुऐब, <BR/>पढ़ने में थोड़ी देर हो गई लेकिन वाकई एक मुसलमान के लिए इस तरह की बात करना बहुत हिम्मत का काम है। काश आप जैसे और हिन्दू-मुसलमान होते जो मुल्क को मज़हब से ज़्यादा तरजीह देते तो कितना अच्छा होता। मैने अपनी जिंदगी मे इतना ईमानदार मुसलमान नही देखा.Tarunhttps://www.blogger.com/profile/00455857004125328718noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-22047060.post-1143341117126112432006-03-25T18:45:00.000-08:002006-03-25T18:45:00.000-08:00आपका ब्लॉग पहली बार पढ़ा और आपके नए विचाए देखकर बहु...आपका ब्लॉग पहली बार पढ़ा और आपके नए विचाए देखकर बहुत प्रसन्नता हुई। ऐसे ही लिखते जाइये!Dharnihttps://www.blogger.com/profile/11988701220844256208noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-22047060.post-1143115704384085932006-03-23T04:08:00.000-08:002006-03-23T04:08:00.000-08:00शुयेब भाईलो हम अपनी गलती सुधार लेते है, आप एक सच्च...शुयेब भाई<BR/><BR/>लो हम अपनी गलती सुधार लेते है, आप एक सच्चे ईन्सान है.<BR/><BR/>क्या आपने "स्वामी वाहिद काज़मी" को पढा है ?<BR/>एक बार उन्हे पढकर देखिये. वे मेरे प्रिय लेखको मे से है. उन्होने मजहबी संकीर्णता पर जितना प्रहार किया है उतना और कीसी ने नही.<BR/><BR/>http://rachanakar.blogspot.com/2005/09/blog-post_20.html<BR/>http://rachanakar.blogspot.com/2005/08/blog-post_26.html<BR/>http://rachanakar.blogspot.com/2005/10/blog-post_29.html<BR/>http://rachanakar.blogspot.com/2005/10/blog-post_03.html<BR/><BR/>आपका<BR/>आशीष<BR/><A HREF="http://ashish.net.in/khalipili" REL="nofollow"> खालीपीली</A>Ashish Shrivastavahttps://www.blogger.com/profile/02400609284791502799noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-22047060.post-1142959973837524022006-03-21T08:52:00.000-08:002006-03-21T08:52:00.000-08:00अतुल अरोरा जीःपहले तो शुक्रिया के धर्म पर इतनी अच्...अतुल अरोरा जीः<BR/>पहले तो शुक्रिया के धर्म पर इतनी अच्छी मिसाल लिखा आपने, ये सब धर्म हमारे परखूँ ने बनाये थे जिसे आगे चल कर लोगों ने नये नये तरीके अपना लिए।<BR/><BR/>रमण कौल जीः<BR/>बहतरीन टिप्पणी देने के लिये आप का शुक्रिया, सब लोग मेरे और आपकी तरह कहां सोचते हैं मज़हबी लोगों के दिमाग पर ताले लग चुके हैं जिसकी चाबी ही नहीं है। हमारे देश में इतने सारे धर्म और सबका अलग अलग दिमाग भला कौन समझाये उन्हें?<BR/><BR/>Ravi Kamdar भाईः<BR/>मैं ने आप का ताज़ा लेख आप के ब्लॉग पर पढा और उस पर टिप्पणी भी लिखा है, वही टिप्पणी यहां भी लिख रहा हूं<BR/>आपके लेख से ज़ाहिर है आप ने पहली बार अपना पूरा गुस्सा उतार लिया है, ब्लॉग आप का है और आप अपने मन की सब बातें उस पर लिख सकते हैं आप अपने ब्लॉग के राजा हैं। पर मेरी आप से एक गुज़ारिश है के हमें किसी भी धर्म के खिलाफ कुछ लिखने और बोलने का अधिकार नहीं, अगर आप को अपना धर्म पसंद नहीं तो धर्म छोड दो जैसे मैं ने किया है पर धर्म की बुराई न करो। ये धर्म हमारे बुज़रगों ने बनाये थे ताकि उनका खानदान एक होकर रहे मगर उनका ख्वाब चूर चूर होगिया क्योंकि हम एक खानदान से हज़ारों में बंट गये। ये सिर्फ आप ही नहीं बलके आप के जैसे भारत में हज़ारों नौजवान हैं जो अपने धर्मों से बेज़ार हो चुके हैं, हर दिन भारत में मज़हबी फसाद से तंग आगऐ। वो दिन दूर नहीं हमारी आने वाली पीढी सब अपने धर्मों से निकल कर इनसान बनना चाहेंगे।<BR/><BR/>Hindi Blogger:<BR/>भाई माफ करना मुझे आप का नाम नहीं मालूम, ये हिन्दी मैं ने खुद इन्टरनेट से सिखा है और टईपिंग भी खुद से। Pratik भाई ने मुझे एक लिंक की तरफ इशारा दिया जहां पर एक छोटा सा सॉफ्टवेर डौनलोड के लिये रखा है जो हिन्दी को उर्दू में ट्रांसलेट करता है जिसे पाकिस्तान के चंद स्टूडंस ने बनाया था। पर मुझे अभी तक ऐसा कोई प्रोग्राम नहीं मिला जो उर्दू को हिन्दी में ट्रांसलेट कर सके। भारत में कैसे कैसे प्रोग्रामर्स हैं और बहुत सारे अनोखे सॉफ्टवेर बना लिये पर अभी तक किसी भी स्टूडंट ने उर्दू से हिन्दी ट्रांसलेट वाला कोई सॉफ्टवेर नहीं बनाये। मेरे पास ऐसे बहुत सारे पोस्ट हैं जिसे मैं उर्दू से हिन्दी में ट्रांसलेट करना चाहता हूं। रमण कौल जी और दूसरे हिन्दी दोसतों से मेरी गुज़ारिश है के वो इस पर कुछ करें और सोचें। क्योंकि पाकिस्तानी ब्लॉगर्स भारत के खिलाफ बहुत कुछ लिखते हैं, मैं चाहता हूं के हिन्दी ब्लॉगर्स उनका लेख ट्रांसलेट करके पढे और खबरदार रहें जैसे वो हिन्दी को उर्दू में ट्रांसलेट करने का सॉफ्टवेर बना चुके हैं, देखें www.crulp.org<BR/><BR/>आशीष कुमार भाई:<BR/>शुक्रिया आप का, लगता है आप ने मेरा लेख पूरा नहीं पढा ;) तभी तो आप ने मुझे दुबारा एक सच्चा मुसलमान बना दिया, खैर एक बार फिर शुक्रिया आप का मेरा लेख पढने के लिये।<BR/><BR/>Pankaj Bengani:<BR/>अरे यार आप भी ;) आप ने मुझे ईमानदार कहा बहुत बहुत शुक्रिया, पर भाई ईमानदार के साथ मुसलमान भी लिख दिया तुमने, मुझे बडा दुख हुवा। अगर आप मुझे "ईमानदार इनसान" लिख देते तो कुछ ज़ियादा खुशी होती मुझे। एक बार फिर आप का शुक्रिया।<BR/><BR/>प्रत्यक्षा जीः<BR/>ऐसा मैं और आप ही सोच सकते हैं बाकी हमारी सौ करोड जनता कहां सोचती है, बस चले जारहे हैं, रोज़ रोज़ पूजा-नमाज़, गाली गलोच, तोड फोड, दंगे फसाद बस यही है हमारे देश की ज़िनदगी।<BR/><BR/>Jitendra Chaudhary भाईः<BR/>पहले तो हम इनसानों सब से में बडी चीज़ अपना दिमाग है, हम बहुत कुछ सोच सकते हैं पर अपने धर्म के बारे उलटी बातें सोचने पर दिल कहता है के "छी - ये कैसी बातें मेरे दिमाग में आ रही हैं?" मैं तो ये कहूँगा के अपने धर्म को अच्छी तरह समझने के लिये थोडी देर धर्म से बाहर अना चाहिये मगर ऐसा चोचना तो लोग बहुत बडा पाप सम्झते हैं। टिप्पणी लिखने के लिये आप का शुक्रिया।<BR/><BR/>Pratik भाईः<BR/>मैं ने आप को याद किया और आप हाज़िर। अभी इस टिप्पणी में ऊपर आप ही का ज़िकर किया है, आप ने मुझे हिन्दी से उर्दू में ट्रांसलेट करने का जो लिंक दिया था उस के लिये फिर एक बार शुक्रिया। ये ट्रांसलेट का सॉफ्टवेर पाकिसतानी सटूडंस ने बनाया है, किया ही अच्छा होता आप और रमण कौल जैसे हिन्दी दोसत मिलकर कुछ छोटा सा उर्दू से हिन्दी ट्रांसलेटर बनायें तो कई लोगों का भला हो सकता है। दूसरी बात बच्चा जब पैदा होता है तभी से उसके उसको नन्ने दिमाग में मज़हब को ठोंस देते हैं और वो कुछ बडा होकर अपने माता-पिता को देखते हुवे और भी पक्का मज़हबी बन जाता है फीर वो मज़हब से हट कर दूसरा कुछ नहीं सोचता।<BR/><BR/>Sanjay Bengani भाईः<BR/>आप उम्मीद रखें मुझ जैसे देश में और भी हैं जो मज़हब से बेज़ार हो चुके हैं। यहां सभी टिप्पणियों से ज़ाहिर है के हम सब देश में एक मज़हब एक कानून चाहते हैं ताके देश में फिर कभी दंगे-फसाद न हों। ये मज़हब ही है जो हम सब को एक दूसरे का दुशमन बना दिया है भले हम आपस एक-दूसरे के मित्र हों फिर भी दिल में नफरत होती है। आ औ हम सब जो गिनती के लोग हैं सब मज़हब से निकल कर एक होजाऐं, हमें प्यार चाहिये, दोसती भी चाहिये ताकि हम अमन से रह सकें।Shuaibhttps://www.blogger.com/profile/09917522401192571532noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-22047060.post-1142930780449125422006-03-21T00:46:00.000-08:002006-03-21T00:46:00.000-08:00शाबास शुएब. आज हालात ऐसे हैं कि किसी मुसलमान से ऐस...शाबास शुएब. आज हालात ऐसे हैं कि किसी मुसलमान से ऐसे लेख कि उम्मीद नहीं थी. दुनियां को बेहतर बनाना हैं तो हमे मज़हबी ज़ंजीरो को तोडना होगा. वैसे मैं भी अपने पिताजी कि खुशी के लिए पूजा-पाठ करता हूं और वे मुझे नास्तिक हिन्दू मानते हैं.संजय बेंगाणीhttps://www.blogger.com/profile/07302297507492945366noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-22047060.post-1142920795910880042006-03-20T21:59:00.000-08:002006-03-20T21:59:00.000-08:00शुऐब भाई, आपने मज़हब के बारे में विचारों को बड़ी सा...शुऐब भाई, आपने मज़हब के बारे में विचारों को बड़ी साफ़गोई से व्यक्त किया है। इसके लिये आप निश्चय ही धन्यवाद के पात्र हैं। दिक़्क़त यह है कि लोग मज़हब को स्थिर (satatic) मान लेते हैं और इस वजह से वह रुढिवादिता से परिपूर्ण हो जाता है। अगर मज़हब को भी वक़्त की ज़रूरत के मुताबिक तब्दील किया जाए, तो वह हर युग में उपयोगी हो सकता है।Pratik Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/02460951237076464140noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-22047060.post-1142917917371764782006-03-20T21:11:00.000-08:002006-03-20T21:11:00.000-08:00शुऐब भाई,माफ़ कीजिएगा, कमेन्ट करने मे काफी देर कर द...शुऐब भाई,<BR/>माफ़ कीजिएगा, कमेन्ट करने मे काफी देर कर दी है। बहुत बहुत अच्छा लेख लिखा है आपने। सबसे अच्छी बात, आपकी ईमानदारी की।लेकिन शोएब भाई, जो बात आप अपने धर्म के लिये कह रहे है, वो दूसरे धर्मों पर भी लागू होती है।मै खुद कई कई बार कुछ सवालों/रुढिवादी परम्पराओं का जवाब ढूंढने की कोशिश करता हूँ, लेकिन अक्सर एक ही जवाब मिलता है <B>"चुपचाप जो कहा जा रहा है, करो। कोई धर्म से ऊपर नही है, तुम भी नही"</B> कभी बड़ों के दबाव तो कभी किसी और वजह से सब करना पड़ता है। आज आपके विचार पड़े तो विचारों मे फिर से उबाल आ गया है।<BR/><BR/>बहुत सुन्दर लेख है। मै तो आपका मुरीद हो गया।Jitendra Chaudharyhttps://www.blogger.com/profile/09573786385391773022noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-22047060.post-1142915674651849882006-03-20T20:34:00.000-08:002006-03-20T20:34:00.000-08:00बहुत ईमानदारी से आपने अपने ख्यालात पेश किये.अच्छा ...बहुत ईमानदारी से आपने अपने ख्यालात पेश किये.<BR/>अच्छा लगा पढकर.ऐसी ही सोच लोगों में बढे तो क्या बात.<BR/>प्रत्यक्षाPratyakshahttps://www.blogger.com/profile/10828701891865287201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-22047060.post-1142914352561516092006-03-20T20:12:00.000-08:002006-03-20T20:12:00.000-08:00आप सचमुच मे हिम्मतवान और काबिल है. मैने अपनी जिंदग...आप सचमुच मे हिम्मतवान और काबिल है. मैने अपनी जिंदगी मे इतना इमानदार मुसलमान (आप नही मानते) नही देखा.पंकज बेंगाणीhttps://www.blogger.com/profile/05608176901081263248noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-22047060.post-1142912915523519452006-03-20T19:48:00.000-08:002006-03-20T19:48:00.000-08:00शुऐब भाईआपके विचारो को जान कर खुशी हुयी.मेरी नजरो ...शुऐब भाई<BR/><BR/>आपके विचारो को जान कर खुशी हुयी.<BR/>मेरी नजरो मे तो आप एक सच्चे मुसलमान है !<BR/><BR/>आशीषAshish Shrivastavahttps://www.blogger.com/profile/02400609284791502799noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-22047060.post-1142893108309272432006-03-20T14:18:00.000-08:002006-03-20T14:18:00.000-08:00बहुत ही सुलझे विचार हैं आपके. काश, आपके उर्दू ब्लॉ...बहुत ही सुलझे विचार हैं आपके. काश, आपके उर्दू ब्लॉग को भी पढ़ पाता. कई उर्दू जानने वाले दोस्तों को आपके ब्लॉग के बारे में बताया है.हिंदी ब्लॉगर/Hindi Bloggerhttps://www.blogger.com/profile/04059710706721725509noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-22047060.post-1142885812915268942006-03-20T12:16:00.000-08:002006-03-20T12:16:00.000-08:00बहुत सही फरमाया अतुलजी ने। बढिया उदाहरण ।बहुत सही फरमाया अतुलजी ने। बढिया उदाहरण ।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/12464222969961316829noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-22047060.post-1142885652590679722006-03-20T12:14:00.000-08:002006-03-20T12:14:00.000-08:00आपके इस लेख से प्रेरित होकर मैने पूरा लेख लिख डाला...आपके इस लेख से प्रेरित होकर मैने पूरा लेख लिख डाला है।<BR/><BR/>http://www.tarakash.com/ravi/2006/03/blog-post_21.htmlAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/12464222969961316829noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-22047060.post-1142884046027424392006-03-20T11:47:00.000-08:002006-03-20T11:47:00.000-08:00शुऐब, आप के ख़्यालात पढ़ कर मुझे आप से मुहब्बत हो ...शुऐब, आप के ख़्यालात पढ़ कर मुझे आप से मुहब्बत हो गई है। वाकई एक मुसलमान के लिए इस तरह की बात करना बहुत हिम्मत का काम है। बचपन से ही मेरे क़रीबी दोस्त मुसलमान रहे हैं, पर किसी में इतनी अक्ल या जुर्रत नहीं थी कि मेरे नास्तिक विचारों के साथ समझौता कर सके। फिर भी एक हिन्दू के लिए ख़ुद को नास्तिक कहना कदरे आसान है, आप के लिए नहीं। उम्मीद है कि आप ने अपनी शिनाख़्त को बचा रखा होगा। हमारे देश में काश आप जैसे और हिन्दू-मुसलमान होते जो मुल्क को मज़हब से ज़्यादा तरजीह देते तो कितना अच्छा होता।Kaulhttps://www.blogger.com/profile/16384451615858129858noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-22047060.post-1142879910066502292006-03-20T10:38:00.000-08:002006-03-20T10:38:00.000-08:00यही बात दूसरे धर्म में भी लागू होती है। एक किस्सा ...यही बात दूसरे धर्म में भी लागू होती है। एक किस्सा सुनिये। एक बार वैज्ञानिको ने एक कमरे से सात बँदर बँद कर दिये, छत पर केले पटका दिये और एक स्टूल रख दिया। ज्यों ही कोई बँदर स्टूल पर चढ़ कर केले लेने की कोशिश करता, बाकी बँदरो पर छिपे फव्वारो से पानी की बौछार होती। धीरे धीरे बँदरो को समझ आ गया कि स्टूल पर चढ़ने से पानि आता है। चुँनाचे अब हर स्टूल पर चढ़ने वाला बँदर बाकियो से मार काने लगा। धीरे धीरे सरे बँदर केले का लालच भूल गये। यहाँ तक कीपानीका कनेक्शन काट दिया गया फिर भी। फिर एक बँदर को बाहर कर दिया गया और एक नया बँदर कमरे में लाया गया। बेचार जैसे ही स्टूल पर चढ़ा बाकी बँदर उस पर पिल पढ़े। अब धीरे धीरे वह भी समझ गया कि किसी को केले नही लेने देना। कयों यह सिर्फ बाकि छः को ही पता था। फिर एक बार एक नये बँदर कि अदला बदली एक पुराने से की गई। इस पर नये बँदर की जूतमपैजार में पिछली बार बदला गया बँदर भी शामिल था। हलाँकि उसके स्टूल पर चढ़ने पर पानी शुरू नही हुआ था फिर भी बाकी पाँच उसे इसलिये मार रहे थे कि कभी पहले उन्होनें स्टूल और पानी की बौछार में कामन कनेक्शन देखा था। छठा सिर्फ लकीर पीट रहा था। धीरे धीरे कमरे मे सारे बँदर नये ले आये गये। अब भी कोई भी केले नही ले सकता था, कयोंकि ऐसा करते ही बाकी उसे मारते थे , क्यों क्योंकि उन्होने अपने से पहले वालो को ऐसा करते देखा था। <BR/><BR/>यही धर्म के साथ होता है। हम ऐसा करते हैं , कयोंकि हमसे पहले की पीढ़ी वैसा करती थी, वो वैसा करते थे क्योंकि पुरखे वैसा करते थे। अब पुरखे सत्रहँवी शताब्दी मे क्यों पर्दा करते थे, क्यों सती जलाते थे, क्यों दहेज लेते थे , क्यों अँधविश्वास करते थे , कोई नही पड़ताल करता। सब सिर्फ लकीर पीटते हैं।Atul Arorahttps://www.blogger.com/profile/00089994381073710523noreply@blogger.com