नई बातें / नई सोच

Sunday, February 19, 2006

मैं शहीद हों

(एक नये मुजाहिद के नेक ख्यालात)

जी हां – मेरा नाम मुजाहिद और काम जिहाद करना है। मुझे अपने मज़हब से बे हद प्यार है और दूसरे मज़हबों से नफ़रत करता हों। अपने मज़हब पर मेरे मां बाप क़ुरबान, मेरी जवानी मेरी ज़िन्दगी सब कुछ क़ुरबान्। मुझे कुछ नही चाहिये, मरने के बाद जन्नत में सिर्फ़ एक झोंपडा मिल जाये तो काफ़ी है। मेरी सुबह जिहाद, शाम जिहाद, मेरा खाना पीना जिहाद और मेरा सोचना भी जिहाद है। हर पल जिहाद के लिये तैयार हों, अपने मज़हब कि क़ातिर मारने और मरने कि लिये कफ़न बांध कर खडा रहता हों।

अपने मां बाप का न फ़रमान बेटा हों उनके लाख मना करने के बावजूद भी जिहाद के रास्ते निकल पडा क्योंकि मुझे शहीद होना पसंद है। हमारे जिहाद ग्रुप में सब से चोटा मैं ही हों। बन्दुकें साफ़ करना चाय बनाना और बरतन साफ़ करना सब मेरा ही काम है। हम लोग शहर से दूर पहाडों में रहते हैं। हर दिन सबह उठ कर यही सोचता हों कि शायद आज हमारे जिहाद ग्रुप के लीडर मुझे जिहाद के लिये कहीं भेजेंगे, मेरे हाथों बम पठेंगे, मिन्टों में कई लोगों को मौत कि नींद सुला दोंगा। अगर मैं मर गया तो ग़म नहीं इस लिये कि मेरी मुक्ति हो चुकी होगी क्योंकि मैं शहीद हों।

5 Comments:

  • शुएब भाई, आपने इस लेख के ज़रिए मज़हबी उन्‍माद का काफ़ी वास्‍तविक चित्रण किया है। ख़ास तौर पर युवा साम्प्रदायिक चरमपन्‍थ के शिकार जल्‍दी हो जाते हैं और अपने घर-परिवार के प्रति अपनी ज़िम्‍मेदारियों को भूल कर मज़हब की राजनीति करने वालों के चंगुल में फँस जाते हैं।

    By Blogger Pratik Pandey, At 9:32 AM  

  • हाँ, ये मज़हब है - जब कोई किसी दूर देश में मेरे धार्मिक पुरूष का कार्टून बनाता है तो मैं अपने देश में अपने गली मोहल्ले में विरोध स्वरूप तोड़ फोड़ करता हूँ- अपने आसपास की चीजों का नुकसान पहुँचाता हूँ!

    हाँ, ये मजहब है.

    और मैं शहीद हूँ - जेहादी हूँ

    By Blogger रवि रतलामी, At 10:04 PM  

  • जी हाँ, मैं मज़हबी हूँ ज़ेहादी हूँ.

    श्रवण बेलगोला में नंगे ईश्वर की पूजा-अर्चना करता हूँ, शिव लिंग की इबादत करता हूँ, मगर हुसैन बिना कपड़ों के ईश्वर को चित्रित करता है तो मैं तोड़फोड़ मचाता हूँ, उत्पात करता हूँ.

    मैं मज़हबी हूँ, ज़ेहादी हूँ

    By Blogger रवि रतलामी, At 10:33 PM  

  • शुऐब,
    आप का चिठ््ठा विचार प्रवर्तक है। इस विचार से शांती अैार भाईचारे का युग पुन: प्रस्थापीत हो सकता है।
    भवदीय,
    शंतनु

    By Blogger Shantanu Shaligram, At 5:54 AM  

  • This comment has been removed by a blog administrator.

    By Blogger Shantanu Shaligram, At 5:55 AM  

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