ऐसी रही यात्रा
घर पहुंचने के बाद सबसे मिलकर गिले शिकवे दूर होवे, अम्मी ने ज़बरदस्त खाना बनाया था, उधर सामने टीवी के खबरी चैनलों पर मीरठ का जलता हुवा मेला लोगों की चीखें औरतों का मातम और यहां मेरे आने की खुशी में ज़बरदस्त हंगामा, हंसी मज़ाक आधी रात तक शोर-शराबा और यों पहला दिन गुज़र गया।
दूसरे दिन सुबह बारह बजे उठ कर घर से बाहर निकला तो पता चला आज शहर बंद है। दिल से आवाज़ आई "पता नहीं आज कौन मरा" घर वापस आकर अखबार देखा तो कन्नड़ फिल्मों के सुपर स्टार राज कुमार उनके चाहने वालों को घम-ज़दा छोड कर आख़िरी नींद सो गऐ। राज कुमार के चाहने वालों ने अपने घम का इस तरह इज़हार किया पूरे शहर को ज़बरदस्ती बंद करवा दिया, सरकारी और पराईवेट बसों को चलाया यहां तक के पुलिस वालों को भी नहीं बखशा, टीवी पर पुलिस वालों को पिटते हुवे दिखाया।
अम्मी मेरा पासपोर्ट फाडने ही वाली थी के बस बहुत होगिया सभी शरीफ लोग अपने शहरों में शरीफों की तरह काम काज करते हैं और तुझे किया ज़रूरत है समन्दर पार नौकरी करने की? पासपोर्ट फाडने की बात सुनते ही मेरा कलिजा कांप उठा फिर बडी मिन्नतें करने के बाद पासपोर्ट मिला के सिर्फ तीन महीनों में हमेशा के लिऐ वापस आजाऊंगा।
अपने शहर को देख कर लगा जैसे नया ज़माना है, किसी ज़माने में पेजर रखने वालों को हम इज़्ज़त की निगाह से देखते थे और आज आटो रिकशा वाले, ठेले वाले सभी के पास रंगीन मोबाइल फोन दूसरी तरफ बडे बडे शॉपिंग मॉल्स यूरोप और दुबई जैसे सिटी बस और वहीं भुकमरी, गरीबी गन्दी और तंग सडकें आज भी जूं कि तूं रहीं।
दुबई वापस आया तो गर्मी ने स्वागत किया, ये तो कुछ भी नहीं अगले महीने से यहां आग उगलने वाली गर्मी पड़ेंगी। दोसतों ने खुश खबरी दी के थोडा दुबला हो गया हों। दोसतों के मुंह से अपने आप को दुबला सुन कर बहुत अच्छा लगा वरना अब तक तो वो सब मुझे मोटू कह कर छेडते थे।
दूसरे दिन सुबह बारह बजे उठ कर घर से बाहर निकला तो पता चला आज शहर बंद है। दिल से आवाज़ आई "पता नहीं आज कौन मरा" घर वापस आकर अखबार देखा तो कन्नड़ फिल्मों के सुपर स्टार राज कुमार उनके चाहने वालों को घम-ज़दा छोड कर आख़िरी नींद सो गऐ। राज कुमार के चाहने वालों ने अपने घम का इस तरह इज़हार किया पूरे शहर को ज़बरदस्ती बंद करवा दिया, सरकारी और पराईवेट बसों को चलाया यहां तक के पुलिस वालों को भी नहीं बखशा, टीवी पर पुलिस वालों को पिटते हुवे दिखाया।
अम्मी मेरा पासपोर्ट फाडने ही वाली थी के बस बहुत होगिया सभी शरीफ लोग अपने शहरों में शरीफों की तरह काम काज करते हैं और तुझे किया ज़रूरत है समन्दर पार नौकरी करने की? पासपोर्ट फाडने की बात सुनते ही मेरा कलिजा कांप उठा फिर बडी मिन्नतें करने के बाद पासपोर्ट मिला के सिर्फ तीन महीनों में हमेशा के लिऐ वापस आजाऊंगा।
अपने शहर को देख कर लगा जैसे नया ज़माना है, किसी ज़माने में पेजर रखने वालों को हम इज़्ज़त की निगाह से देखते थे और आज आटो रिकशा वाले, ठेले वाले सभी के पास रंगीन मोबाइल फोन दूसरी तरफ बडे बडे शॉपिंग मॉल्स यूरोप और दुबई जैसे सिटी बस और वहीं भुकमरी, गरीबी गन्दी और तंग सडकें आज भी जूं कि तूं रहीं।
दुबई वापस आया तो गर्मी ने स्वागत किया, ये तो कुछ भी नहीं अगले महीने से यहां आग उगलने वाली गर्मी पड़ेंगी। दोसतों ने खुश खबरी दी के थोडा दुबला हो गया हों। दोसतों के मुंह से अपने आप को दुबला सुन कर बहुत अच्छा लगा वरना अब तक तो वो सब मुझे मोटू कह कर छेडते थे।
8 Comments:
सरासर उल्टी गंगा बहा रहे हैं आप साहब, घर जाकर अम्मी के हाथ का खाना खा कर भला दुबला होता है क्या कोई।
By ई-छाया, At 11:49 AM
या तो दोस्तो के चश्मे का नंबर बदल गया होगा, या आपका दिल बहलाने दुबला कह दिया होगा ! घर का मां के हाथ का खाना खा कर कोई दुबला नही हो सकता !
By Ashish Shrivastava, At 9:08 PM
वापसी पर स्वागत हैं. अनुगुँज 18 में आपकी कमी खली (महसुस हुई )थी.
भारत विरोधाभाषी देश हैं, एकदम भगवान कि तरह इसे जैसा देखना चाहोगे यह वैसा ही लगेगा. आधुनिकता देखनी हैं तो मल्टीप्लेक्ष हैं, शोपींगमाल हैं, रंगीन मोबाईल हैं, वाई-फाई आ रहा हैं.
गरीबी देखनी हैं तो बस नज़र उठा कर देखलो, कहीं भी दिख जायेगी.
अम्मा यार दुबले कहलवा कर क्यों अपने देश, अपने घर और माँ के हाथ के खाने को बदनाम कर रहे हो. ;)
By संजय बेंगाणी, At 9:23 PM
हिन्दुस्तान की सरजमीं पर शौएब का इस्तकबाल किया जाता है।
ये क्या? तुम्हे दोस्तों ने पतला क्या कह दिया तुम तो दिन रात खाए जा रहे हो, अबे ज्यादा खाएगा तो फिर मोटू हो जाएगा, फिर मत कहना कि दोस्त यार मोटू मोटू कहकर चिढा रहे है। हीही
अरे यार! आए हो खाओ पियो, मस्त रहो,परदेस मे कहाँ मिलता है अम्मी के हाथ का खाना? इसलिये लगे रहो, खाने पीने (पीने को पीने से ना लिया जाए) में।
By Jitendra Chaudhary, At 10:18 PM
शुऐब भाई, हिन्दी ब्लॉग जगत् में वापसी पर एक बार फिर आपका स्वागत् है। पासपोर्ट की टेंशन की वजह से शायद पतले हो गए हो; लेकिन चिन्ता मत करना, कुछ दिनों में फिर हट्टे-कट्टे हो जाओगे। :-)
By Pratik Pandey, At 12:34 AM
अरे यारों बात ये है के दुबई का हवा पानी आदमी को ऐसे ही मोटा कर देता है। और ये बात भी सही है के घर में अम्मी ने मुझे ज़बरदस्त खाने खिलाए जिससे मैं मोटा नहीं बलके स्मार्ट हो गया। असल में घर का खाने से सहत अच्छी बनती है न के मोटापा। यहां दुबई में होटलों का खा खा के आदमी बहुत ज़ियादा मोटा हो जाता है मतलब "बिमारी, इसी लिऐ दोसतों ने मुझसे कहा कि मैं थोडा दुबला हो गया हूं फिर देखना दुबारा होटलों का खाना खा के मोटा हो जाऊँगा ;)
अब तो आप सब ने दुबई का मोटापा जान लिया है ना।
By Shuaib, At 10:15 AM
भई, मां के हाथ का खाना खाते समय भी अगर पासपोर्ट की चिंता पलोगे, तो दुबले तो हो ही जाओगे. वो तो ऎसा क्षण है जिसे जितना आन्नद के साथ बिता सको, बिताना चाहिये, बिना किसी चिंता के.
समीर
By Udan Tashtari, At 6:44 PM
शुऐब भाई,
घर जाने का ओर दोबारा ब्लाग में आने की बधाई। तुम्हारी कमी तो बहुत खली , लेकिन तुम्हारे दिये हुये कई लिक्स मेरे बहुत काम आये,खासकर के animation वाले कई लिक्सं। अम्मी के हाथ खाना खा तो तुमने खाया,लेकिन पानी तो मेरे मुह मे आ रहा है,क्या करूं, खाने के मामले में जरा मजबूर हूं।
By Dr Prabhat Tandon, At 8:21 PM
Post a Comment
Subscribe to Post Comments [Atom]
<< Home