नई बातें / नई सोच

Wednesday, August 13, 2008

ओ भाई एक बम इधर भी फाडदे

अपुनको सिर्फ फोन करके बोलो कि किधर बम फाडना है बस और पैसों की चिंता नहीं। आजकल धंदा इतना मंदा पडा है कि बोले तो पांसो-हज़ार मे भी दस बम फाड सकता हूं।

बेंगलूर और गुजरात मे 'बम' फाडने के लिए आज अपुनको पांच हज़ार रूपय मिला, बहुत दिनों बाद इतने सारे नोट पाकर पब जाने की बजाए शाम को अपुन सीधा डिस्को पहुंचा।

सामने बैठा एक सेठ अपुन को पहचानकर पास बुलाया और बोला कि "ओ भाई, यहां भी एक बम फाडदे" और बदले मे दस हज़ार पाले क्योंकि इसका मालिक जगह ख़ाली करने से इंकार कर रहा है और हमको यहां एक आलीशान शॉपिंगमाल बनाना है।

सेठ ने अपुनके के हाथ पांच हज़ार अडवांस थमाते कहा देख क्या रहा है ज्लदी जा और एक 'टिफ़न बम' लादे। अपने को क्या है सिर्फ पैसा कमाना मंदिर, मस्जिद, बाज़ार जहां बोलो बम फाडेगा। अचानक दस हज़ार के आफ़र पर अपुन ने एक और बीयर चढानी शुरू करदी, सामने जवान लड़का-लड़की लोग मस्ती मे झूम रहे थे बोले तो आजकल का मशहूर 'पप्पू डांस' कर रहे थे। इन जवानों मे अहमद भी है अर्शद भी है और राम भी शाम भी जॉन भी, सीता भी गीता भी और हमीदा, तसलीमा भी है।

साला नशे मे आदमी को सोचना मंगता है, मंदिर मे सिर्फ हिन्दू आते हैं, मस्जिद मे सिर्फ मुस्लमान और चर्च मे सिर्फ इसाई मगर बाज़ार और डिस्को मे सभी धर्म के लोग एकसाथ चले आते हैं। खुदको नहीं पता कि अब तक कितने मंदिरों मस्जिदों मे धमाके करके दर्जनों हिन्दू मुस्लिमानों की हत्या की है! आज पहली बार डिस्को मे बम फाडने के लिए अपुन को पैसा मिला है मगर यहां हिन्दू मुसलिम आदी सभी धर्मों के लोग एकसाथ मस्ती मे झूंम रहे हैं।

जैसे ही अपुन की बोतल खलास हुई अपुन ने बोतल तोडदी, दिल तो चाहा कि सीधा इस सेठ के पेट मे टूटी बोतल ठोंसदे। अपुन झूमते हुए मगर पूरे होश मे सेठ के मूंह पर उसका पैसा फेंकर बतादिया कि चाहे तो अब भी बोलो कौन कौनसी मस्जिद उडानी है और कौन कौनसा मंदिर मगर इस पवित्र डिस्को मे अपुन बम नहीं फाडेगा जहां सभी धर्म के नौजवान हंसी ख़ुशी झूमने आते हैं। अपना तो कोई धर्म नहीं यहां डिस्को मे सब अपने जैसे लोग आते हैं और अपुन अपने ही लोगों पर बम कैसे डाल सकता है?

(नोटः ये एक बनी बनाई कहानी है)