नई बातें / नई सोच

Monday, April 03, 2006

दफतर में केमरे

शुक्र है मेरे सर पर या आस-पास कोई केमरा नज़र नहीं आता, कम्पनी के सभी डिपार्टमंट में केमरे लगवा दिऐ। मालिक को कहीं से शिकायत आई के उनकी कम्पनी में काम करने वाले अकसर इन्टरनेट पर खोजते रहते हैं जिसकी वजे से दफ्तरी काम सुस्त होचुका है। IT administrator ने पहले से बहुत सारे वेब साईट को कम्पनी में ब्लॉक कर रखा है जिस में ब्लॉगर के अलावा दूसरी काम के वेब साईट शामिल हैं अब मैं अपना ब्लॉग भी देख नहीं सकता इसके अलावा बहुत सारे भारती अखबारों की साईट्स भी ब्लॉक कर दिए। दफतर में अपने क्म्प्यूटर पर सिर्फ डोमेन किए होवे ब्लॉग पढ सकता हूं, गूगल और याहू की वेब साईट पर सर्च करने से सभी लिंक आते हैं पर जब किसी लिंक को click करने से पन्ना बलांक खुलता है।

Saturday, April 01, 2006

सपनों में यात्रा शुरू

घर जाने के लिए और दस दिन बाकी हैं पर पिछले एक महीने से रोज़ रात को अजीब अजीब सपने आ रहे हैं। ख्वाब में अपने घर आ-जा रहा हूं। कभी मेरी फलईट मिस हो रही है, कभी बंगौर का टिक्ट नहीं मिल रहा और कभी बारिश की वजे से फलईट केन्सल हो रही है वगेरा वगेरा।

आज का ताज़ा तरीन ख्वाब ये है के एक मलबारी ने मुझ से कहा तुम कालीकट (केरला का शहर) क्यों नही चले जाते जिसका किराया भी बहुत कम है जहां से ट्रेन तुमहें सिर्फ पांच घंटों में बंगलौर पहुंचा देगी। पैसा बचाने के चक्कर में ख्वाब में ही दुबई से कालिक्ट पहुंचा और वहां से ट्रेन पकड कर बंगलौर जा रहा था के ट्रेन का एक्सीडंट हो गया सभी बोगियाँ अलग अलग होगई। ख्वाब ही में बड़बड़ाया कि कितना पागल हूं एक मलबारी के घटिया ईडिए पर कालीकट आ गया और मेरे साथ ही ऐसा होना था के ट्रेन का एक्सीडंट होगया।

अभी पिछले सप्ताह का ख्वाब है के घर पहुंचने के बाद अम्मी ने मेरा पासपोर्ट फाड फेंका बस बहुत होगया, अपने देश में सब कुछ है किया ज़रूरत है दूसरे मुल्कों में नौकरी करने की? फिर अब्बा से कहने लगीं फौरन शुऐब की शादी करवा दो वरना ये फिर दुबई भाग जाऐगा।

कहते हैं दिन भर हम जो भी करते हैं वही सपनों में नज़र आता है पर मेरे सपनों में मेरी ही आजीब आजीब फिल्में रेलीज़ होती हैं जो मैं ने कभी साईन नहीं किया।