नई बातें / नई सोच

Tuesday, May 23, 2006

ज़रूरत है एक पत्नी की

नाम मुजीब, उम्र 32 और थोडा सा टक्ला। यहां अपने प्रोडक्शन डिपार्टमंट में इसका पोस्ट आँफिस बोई है फिलहाल Tie और Jeans प्रोडक्शन में शामिल हो गया, तनखा उवर टाईम मिला कर 25 हज़ार इनडियन लेता है, दिल का बहुत अच्छा है पर हमेशा चिड चिड करता रहता है। ये हे तो बहुत ही कनजूस पर इससे दूसरों का दर्द केखा नहीं जाता अगर कोई कर्ज़ पूछे तो आंख मूंद कर दस-पंद्रह हज़ार यों ही दे देता है और अगर कुछ ज़यादा रहम आजाए तो पांच हज़ार तक दान देने को तैयार है। पांच वर्ष तक वो सौदी अरब में नौकरी किया और पिछले तीन वर्षों से यहां दुबाई में अपने ही कम्पनी में नौकरी कर रहा है। सौदी अरब की कमाई से बेंगलौर में अपना एक मकान भी बनवालिया और बहुत ही मुशकिलों से अपनी बहनों की शादियाँ भी करवादी। इसको भारत से यहां बहुत सारे रिश्ते आए पता नहीं इस ने रिजेक्ट किए या वहां से रिजेक्ट हुवे पर वो अपनी शादी को लेकर हमेशा परेशान रहता है और ऊपर से ढलती उम्र। कहता है अगर इस वर्ष में शादी नहीं होई तो वो दुबाई के किसी कोठे पर चला जाएगा क्योंकि अब बरदाश्त नहीं करसकता। वो यहां कम्पनी के हर एक डिपार्टमंट्स में जाकर खुजली करता है मैनेजरों को भी छेडता है सुबह-शाम सबको छेडता है पर जब कोई उसे छेडे या उसका मज़ाक उडाए तो उससे बरदाश्त नहीं होता और दो दिन तक किसी से बात नहीं करता फिर तीसरे दिन नरमल हो कर सबसे मिलजाता है। वो हर हफ्ते अपने बहुत सारे फोटो खिंचवा कर भारत में अपनी बहनों को भेजता है कि उसके लिए कोई लडकी देखें। उसकी बहनें भी बेचारियाँ ढूंड ढुंड कर अब तक दो दर्जन लडकियों के फोटो और उनके प्रोफाईल भेजे और आज तक वही सिलसिला चल रहा है। मुजीब चिडचिडा है, कनजूस है, हर दिन सबसे हंसी-मज़ाक और लडाई झगडा करता है पर वो दिल का बहुत अच्छा इनसान है जिसकी मैं गारन्टी देता हूं। है कोई लडकी जो मुजीब को अपना कर उसे सुधारे? धन्यवाद
(दहेज लेना और देना पाप है)

6 Comments:

  • हमारी शुभकामनाऎं स्विकारें,

    समीर लाल

    By Blogger Udan Tashtari, At 7:23 PM  

  • दवा (लङकी) तो हमारे ध्यान में नहीं हैं, हाँ दूआ जरूर कर सकते हैं आपके मित्र के लिए. जरा सम्भालना भाई ये कोठे-वोठे के चक्कर में आकर स्वास्थय और सम्पति बरबाद न कर बैठे.

    By Blogger संजय बेंगाणी, At 9:46 PM  

  • एक चुटकुला याद आ रहा है:


    एक बार एक सज्जन ने अखबार में इश्तेहार दिया - "पत्नी चाहिये".

    अगले दिन उनके पास १० प्रतिउत्तर आये, ९ में यह लिखा था - "मेरी ले जाईये".


    यह तो था चुटकुला, मगर भैया, उम्मीद का दामन ना छोड़ना, देर लगेगी मगर मिलेगा - मिलेगा - सबको मिलेगा!!

    By Blogger विजय वडनेरे, At 5:55 AM  

  • ये आपके दोस्त कंजूस भी हैं और दस पंद्रह हज़ार यूँ ही पकड़ा देते हैं। बात ठीक से समझ नहीं आई। लेकिन किस्सा अच्छा है। यार हमारी शादी हो गई तो इनकी भी हो जाएगी।

    By Blogger Basera, At 2:11 PM  

  • विजय भाई आप कहां रहते हैं? यह बंदा हिन्दुस्तानी हैं इस लिए मिलेगा.. मिलेगा नहीं मिलेगी.. मिलेगी लिखीये.

    By Blogger संजय बेंगाणी, At 8:18 AM  

  • हा हा हा ...सही पकड़ा संजय भाई!!

    दरअसल, वह वाक्य लिखते समय अचानक मुझे "चाईना गेट" नामक हिन्दी चलचित्र के खलनायक का डायलाग याद आ गया था, जिसमें वह कहता है कि - "...गोली चली नहीं कि आ गये काँय काँय करत...मिलेगा मिलेगा, सबको मिलेगा..."

    By Blogger विजय वडनेरे, At 6:24 AM  

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