नई बातें / नई सोच

Tuesday, June 06, 2006

मां, भूक लगी है

ये शब्द सुनते ही मां की ममता तडप उठती है वो किचन की ओर डोडती है और कोशिश करती है कि जल्दी से उसके लाडले के लिए खाना गरम करे। हम जब स्कूल से वापस घर आते हैं किताबें एक तरफ डाल कर आराम से सोफे पर बैठ कर चिल्लाते हैं "मां भूक लगी है जल्दी से खाना दे" मां झट से खडी होजाती है भले वो बीमार हो, और प्यार से कहती है "हाथ मुंह धोले बेटा अभी खाना लगाती हूं।"

यहां परदेस में मां बहुत याद आती है और साथ में अपना बचपन भी।

बरसात में भीगो तो डांटना फिर तोलिये से हमारा सर पोंछना, सुबह सवेरे हमें जगाना ज़िद करो तो कमबल खींच लेना। बीमारी में ज़बरदसती हमारे मुंह में दवाई ठोसना और आधी रात को उठ कर हमारी कमबल सीधी करना। जल्दी जल्दी नाश्ता बनाए साथ ही पलट कर बाथ रूम में हमारी पीठ पर साबुन भी मलदे। स्कूल से घर देर से लोटें तो दरवाज़े पर हमारी राह देखते परेशान खडी रहना। शरारत पर पिटाई करना और अच्छे काम करो तो हमारे सर पर प्यार से हाथ फेरना। पिता पिटाई करे तो मां हमें सीने से लगा लेती है और जब वो खुद हमें पीटती है गुस्सा थनडा होने पर दुबारा हमें सीने से लगा लेती है। पिता गुस्से में आकर औलाद को घर से निकाल दे पर मां अपने बच्चों की खुशी के लिए खुद घर छोड देती है। बाप के कतल के एलज़ाम में कानून बेटे को सज़ा देता है पर मां अपना सुहाग उजाडने वाले बेटे को माफ करदेती है। उसके बच्चों का सुख अपना सुख, उसके बच्चों का दर्द अपना दर्द, उसके बच्चों की परेशानी अपनी परेशानी और खुद अपना दुख भुलाने के लिए कोने बैठ कर रोती है। वो अपने बच्चों को खाना खिलाने तक चैन से नहीं बैठती, लोग कहते हैं मां भगवान का रूप है लेकिन मैं कहता हूं मां ही भगवान है।

6 Comments:

  • शोयेब भाई, मेरे पास शब्द नही है प्रतिक्रिया के लिये !

    By Anonymous Anonymous, At 8:11 PM  

  • शोयेब जी, सत्य वचन हैं, माँ, भगवान का ही रूप होतीं है|

    By Blogger संगीता मनराल, At 5:16 AM  

  • आशीषः
    मेरे ब्लॉग पर आने के लिए आप का शुक्रिया।

    संगीता मनरालः
    बेहन जी आपका शुक्रिया और ये आपका अपना खयाल है, मैं तो माँ को भगवान ही मानता हूं।

    By Blogger Shuaib, At 10:05 AM  

  • http://hindini.com/fursatiya/?p=141
    यह कविता खासतौर से आपके लिये।

    By Blogger अनूप शुक्ल, At 5:20 AM  

  • माँ कभी भी बच्चों को अपने से अलग नहीं मानती है।
    प्रेमलता

    By Blogger प्रेमलता पांडे, At 9:46 AM  

  • very nice ! soheb ji, what a style u have. no one can care a child like a mother....

    By Anonymous Anonymous, At 11:47 PM  

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