कयामत ऐसी थी
शाम को होटल मे बैठे नाश्ता कर रहा था, अचानक होटल के बाहर चीखने चिल्लाने की आवाज़ें आऐं। मैं समझा कोई नई बात नहीं कुछ हादिसा हुवा होगा। अब तो अरबी ज़ुबान में नारे बाज़ी शुरू होगई, होटल के सामने ट्राफिक जाम। अन्दर बैठे चंद लोग माजरा देखने बाहर निकले तो मैं भी जल्दी से हाथ धो कर बाहर आगया। कुछ सम्झ मे नहीं आरहा के आखिर यहां हुवा किया? आस पास के इमारतों मे मौजूद लोग वो भी तमाशा देखने अपनी बालकोनियों में आकर खडे होगए। आरब लडके सीटियाँ बजाते नारे कोस रहे थे "या शबाब, या शबाब" (हए किया जवानी है) चंद खूबसूरत आरबी लड़कियॉ बिलकुल छोटे छोटे कपडे पहन कर जा रही थीं लेकिन आस पास के माहोल को देख कर लगा जैसे यहां कोई कयामत होगई हो। यहां अकसर आरब लडके कार चलाते हुवे कभी पानी मे उतर जाते है तो कभी किसी पर अपनी गाडी ठोक देते हैं। किसी भी लडकी को देख कर ऐसे दीवाने बन्ते हैं जैसे ज़िनदगी में पहली बार देख रहे हों।
3 Comments:
या शायद जिन्दगी में पहली बार ही देखते हों... :)
By रवि रतलामी, At 8:24 PM
आकर्षण उसी चीज़ के लिए होता जो आसानी से मिलती नहीं.
By Anonymous, At 3:58 AM
शोएब भाई ये समझ नहीं आया कि ये फैशन परेड किस सिलसिले में थी?
By Manish Kumar, At 9:14 AM
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