नई बातें / नई सोच

Sunday, June 25, 2006

चश्मा

मेरी नज़र कमजोर तो नही फिर भी पिछले आठ वर्षों से चश्मे के बगैर क्म्प्यूटर की स्क्रीन को नही देख सकता और अगर किसी दिन अपना चश्मा घर भूल आया तो दफतर मे कुछ काम नही कर सकता, अब तो चश्मा मेरी रोजी रोटी बन गया है क्योंकि क्म्प्यूटर के सिवा मुझे दूसरा कोई काम नहीं आता और चश्मे के बगैर क्म्प्यूटर चला नहीं सकता। मैं चश्मे के बगैर अखबार पढ सकता हूं, अँधेरे मे भी कुछ कुछ देख सकता हूं मगर टीवी, सिनेमा और क्म्प्यूटर की स्क्रीन नहीं देख पाता। अब तो क्म्प्यूटर पर गारमंट (Fabric) डिज़ाईन कर रहा हूं जो बहुत ही बारीकी का काम है यानी और ज्यादा नज़र कमजोर होने का काम है।

2 Comments:

  • शोएब जी, आप की उम्र कितनी है ? जैसे आप लिखते हें वह तो करीब की नज़र का कमज़ोर होना लगता है, जो कि ४० या ४५ साल की उम्र तक पहुँचते पहुँचते अक्सर होने लगता है. जिनकी पहले से दूर की नजर कमजोर हो, उनको यह तकलीफ कुछ कम होती है.
    इस तरह नज़र कमज़ोर होने का क्मप्यूटर पर काम करने न करने से उतना नाता नहीं जितना लगातार लम्बे समय तक नजर गड़ा कर बारीक काम करने से है. वैसे कहते हैं कि इस तरह का काम करने वालों को, हर दो घँटे में कम से कम दस मिनट आँखों को आराम देना चाहिये, जिसके दौरान खिड़की से दूर देखना चाहिये ताकि आँखों के अंदरुनी माँसपेशियों को आराम मिले!

    By Blogger Sunil Deepak, At 9:47 AM  

  • निर्जीव सा चश्मा कितना महत्वपूर्ण होता है यह चश्मे को प्रयोग करने वाला ही जानता है।

    By Blogger Jagdish Bhatia, At 10:19 AM  

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