नई बातें / नई सोच

Tuesday, February 28, 2006

दुनिया के न:1 चौकीदार

बुश (Bush) की किस्मत चमक उठी जब भारत ने उन्हें अपने हां आने का दावत नामा भेजा। दुनिया का सबसे बडा सकयुलर देश देखने कि लिये बुश बेताब हैं ये जानते हुए भी कि वहां कि जनता उन्हें जूते मारने तैयार खडी है।

आज भारत के सभी अखबारों में लिखा है कश्मीर से कन्याकुमारी और गुजरात से बंगाल तक अकसर हिन्दुस्तानी बहुत नाराज़ हैं कि इस पाक धरती पर बुश अपने नापाक क़दम रखने वाले हैं।

बुश – जो एक ताक़तवर देश के महान लीडर हैं और वो इस वक़त एक साथ पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान, ईराक़, ईरान और सीरया जैसे देशों में चौकीदारी कर रहे हैं, और चौकीदार बहुत चालाक होता है। चौकीदार साहब अच्छी तरह जानते हैं कि भारत और भारतीयों से किस तरह शराफ़त से पेश आना है। एक सौ करोड जनता का देश और हर एक का अपना अलग दिमाग़! बुश को बहुत ही सोच समझ कर हिन्दुस्तान में क़दम रखना है ताकि वो वापस जा सकें।

Friday, February 24, 2006

मूंछ वालियां

अरब घरों में मुलाज़िमायें अकसर फ़िल्पाइन, इन्डोन्शिया, बंगला देश और श्री लंका से होती हैं। इन लडकियों को यहां पहुंचाने वाले एजेंट साहबों को ये हक़ है कि वे ज्यादा से ज्यादा बद सूरत और मूंछ वाली यानी मरदाना शकल रखने वाली लडकियों का सलकशन करें।

मगर इन लडकियों को किया मालूम, बन सवर कर एजेंटों से मिलती हैं कि हमें दुबई में मुलाज़िमा कि नौकरी दें। अब ये लड़कियॉ परेशान कि खूब मेक-अप के बव्वजूद दूसरी बद शकल लडकियों को स्लेकट कर लिया गया। एजेंट साहबान को चाहिये कि वे इन बेचारियों को बताए कि दुबई में हवूज़ मेडस कि लिये बद शकल लडकियों का सलकशन होता है और दूसरे कामों कि लिये ख़ूब सूरत लडकियों का चुनाव होता है।

अरब बीवियां अपने घर बद शकल मुलाज़्मा रखते हैं ताकि उनके पतियों, बच्चे और आने वाले मेहमान ख़ादिमा को बद शकल देख कर नज़र अनदाज़ कर दें। अरबी फ़रिशता नहीं कि घर कि मुलाज़िमा को कब तक नज़र अनदाज़ करे। यहां हावूज़ मेडस को भी घर के मरद लोगों के अलावा दूसरे कई लोगों का ख़याल रखना पडता है।

Sunday, February 19, 2006

मैं शहीद हों

(एक नये मुजाहिद के नेक ख्यालात)

जी हां – मेरा नाम मुजाहिद और काम जिहाद करना है। मुझे अपने मज़हब से बे हद प्यार है और दूसरे मज़हबों से नफ़रत करता हों। अपने मज़हब पर मेरे मां बाप क़ुरबान, मेरी जवानी मेरी ज़िन्दगी सब कुछ क़ुरबान्। मुझे कुछ नही चाहिये, मरने के बाद जन्नत में सिर्फ़ एक झोंपडा मिल जाये तो काफ़ी है। मेरी सुबह जिहाद, शाम जिहाद, मेरा खाना पीना जिहाद और मेरा सोचना भी जिहाद है। हर पल जिहाद के लिये तैयार हों, अपने मज़हब कि क़ातिर मारने और मरने कि लिये कफ़न बांध कर खडा रहता हों।

अपने मां बाप का न फ़रमान बेटा हों उनके लाख मना करने के बावजूद भी जिहाद के रास्ते निकल पडा क्योंकि मुझे शहीद होना पसंद है। हमारे जिहाद ग्रुप में सब से चोटा मैं ही हों। बन्दुकें साफ़ करना चाय बनाना और बरतन साफ़ करना सब मेरा ही काम है। हम लोग शहर से दूर पहाडों में रहते हैं। हर दिन सबह उठ कर यही सोचता हों कि शायद आज हमारे जिहाद ग्रुप के लीडर मुझे जिहाद के लिये कहीं भेजेंगे, मेरे हाथों बम पठेंगे, मिन्टों में कई लोगों को मौत कि नींद सुला दोंगा। अगर मैं मर गया तो ग़म नहीं इस लिये कि मेरी मुक्ति हो चुकी होगी क्योंकि मैं शहीद हों।

Thursday, February 16, 2006

एलेक्ट्रानिक मज़हब

आओ मज़हब-मज़हब खेलते हैं, तुम हमारे मज़हब का कारटून बनाओ और हम तुम्हारे मज़हब का बनाते हैं। बहुत मज़ा आये गा इस खेल में जब सभी मज़हबों कि बुराइयाँ खुल कर एक दूसरे को मालूम हों। लेकिन मज़हबों में बुराइयाँ कैसी? सभी मज़हब तो पाक व साफ़ हैं! सभी मज़हबों में अच्छी बातें होती हैं। मज़हब तो अपनी जगा ठीक है मगर ये मज़हबी लोग? मज़हबी लोगों में नफ़रत है एक दूसरे के लिये, हर किसी को अपना मज़हब प्यारा है और इसी यक़ीन पर वे दूसरे मज़हबों से नफ़रत करते हैं भले वे आपस में एक दूसरे के मित्र हों मगर दिल में बहुत कुछ रखते हैं।

किया ज़रूत है ऐसे मज़हबों की जो हम इनसानों को ग्रुपों में बांट दिया जैसे जंगल में जानवर अपने अलग ग्रुप बनाये रहते हैं और एक दूसरे पर हमला करते रहते हैं।

साइंसदानों से गुज़ारिश है कि वे इस नये दौर के लिये कुछ ईसा नया एलेक्ट्रॉनिक मज़हब बनाये ताकि दुनिया भर के इनसान सब एक हो जायें क्योंकि साईंस्दान जो भी चीज़ बनाते हैं लोग उसे अपना लेते हैं। किया ईसा होगा?

Wednesday, February 15, 2006

Happy Valentain day


Thursday, February 09, 2006

कारटून जंग – दूसरा कदम

ईरान के अखबार हमशहरी ने डनमार्क के अखबार Jyllands-Posten के जवाब मे Holocaust (यहुदीयों के क़तले आम) के नाम पर इनटरनशनल कारटुन मुकाबला का ऐलान किया जिस पर यहुदी का एक ग्रुप ने बहुत बुरा माना । (एक खबर)

3 दिन पहले उर्दू के बलाग मे इन से मिलो – 10 पोस्ट से मुतासर हो कर शायद हमशहरी ने ईसा कदम उठाया है, शुक्र है ईरान मे भी वे सिलसिले वाली पोस्ट मशहूर हो रही हैं ;)

खबर मे बताया गया के अखबार हमशहरी ने अपने पेज पर कल एक ऐलान छापा था जिस मे होलोकास्ट के तारीक़ी वावेले के बारे दुनिया भर के कारटूनिस्टों को कारटून भेज कर मुकाबला मे हिस्सा लेने कि पेशकश कि है । अखबार का कहना है कि इस मुकाबले का मक़सद इस बात का जायेज़ा लेना है कि आजादी राय कि हद किस क़द्र फैली है क्योंकि मघर्बी मुल्कों मे मुसलमानों के खलफ कारटून छापने के बाद इसी आजादी बात को सबूत के तौर पर पेश कर रहे हैं ।

Tuesday, February 07, 2006

ये खुदा है - 1

हिन्दी भाषा मे लिखने का माहिर तो नही हों बस ऐसे ही लिखना शुरु किया अब लिखता जा रहा हों । मुझे बहुत कुछ लिखना है और ऐसे वैसे बातें लिखना है जो आज से पहले कभी न पढी हों न सुनी हों । जी हां, ये बलोग अमेरिका और खुदा के बीच चल रही रिश्तेदारी पर है? ठीक ही पढा, क्योंकि इस वक़त खुदा अमेरिका मे मेहमान है ।

देखते हैं आगे इन दोनो के बीच और किया होता है और इस पर लिखता रहूँगा ।

इनसे मिलो – 2

ये खुदा है

नज़र न आये तो तसावुर कर लिया जाये समझ लो कि वे तुम्हारे साम्ने है, वे स्दा घायब है इसी लिये उसका नाम खुदा है, अगर नज़र आया तो लोग उसे खैद मे डाल देंगे । सबसे पेहले अमेरिका ने सवालों कि बोछाड करदी उसामा कहां है? केटरीना और रीटा मे बे घर होवे लोगों से माफ़ी मांगे । मौका घनीम्त त्ब्ल्घी ज्मात वालो ने खुदा को दबोच लिया और फ़रयाद कर रहे थे कि मुसल्मानो को बता दे हमारी हमारी जमात ही जन्न्ती है जैसा कि तब्लीघी निसाब मे लिखा है । फ़ल्स्तीन मे जबरद्स्त ज्ल्से और जुलुसों कि तैयारियां कि वे कबसे खुदा का इन्तेज़ार कर रहे थे, वो आया भी तो रहेगा इसराईल मे फिर भी फ़ल्स्तीनियों को उम्मीद है खुदा ईसराईल आये तो उसका साया फ़लस्तीन पर ही होगा । लैकिन ईराक़ी परेशान कि अब किया जवाब दें जबकि सब अपना किया है मगर खुदा से एक फरियाद है अली कि मज़ार सऊदी अरब मे शिफ़्ट करदे बस हमें और कुछ नही चाहते । खुदा कि मदद से मिसरियों ने खज़ाने तलाश करके अमेरिका के हवाले करदिये । सददाम ने खुदा को देखा तो दुबारा इमान ले आया फिर ये जनकर शर्मिन्दा हुवा कि वो भी अमेरिका कि खबज़े मे । चीन ने मजहबी लोगों को खुश करने कि लिये खुदा के हम शकल बना कर फ़रुख्त करना शुरु कर दिये बटन दबाओ तो सारे राज़ उगल देता है । अभी तक अफ़घानिसतान से कोई शिकायत नही आई शायद कि वो अमेरिकी साये मे महफ़ूज़ हों । खुदा ने अमेरिकी मेज़बानी से होकर बादेशाहत कि टोपी उसके सर पर बानधी । उसामा छुपते छुपाते खुदा से शाबाशी लेने पहुनचे मगर अमेरिकी जाल मे बुरी तरह फंस गये । अमेरिका ने खुदा का ग्श्त करवाया, अफ़्घानों से पुछा किया यही है तुम्हारा रब जिस से मदद कि भीक मांगते थे? मांगलो जो मांगना है इस से पहले कि खुदा गायब हो जाए । बिल गेटस ने नऐ विंडोस का तारुफ़ करवाया मगर खुदा को जरा न भाया और न ही उसकी समझ मे कुछ आया । अफ़्गानों ने अफीम, गानजा और चरस कि पैदावार मे दो गुनी बरकत करवाली साथ फसलों कि हिफाजत भी । ईरान कि लाचारगी कि अब करे तो किया करे खुदा भी अमेरिका के खबजे मे, जरुरत है सुलाह करले वरना खैर नही । खुदा के गायब होने का वकत आचुका तो लोगों ने मिन्न्त समाजत शुरु करदी ।

अब खुदा भी बैत बाजी के लिये राजी हो गया, शैतान को बुला कर पास बिठाया फिर दोनों मे जबरदसत मुकाबला शुरु हुवा मगर किसी ने हार नही मानी । खुदा ने बला झजक बयान दे दिया कि सोनामी से नाराज लोगों को खुश करने कि लिये कैटरीना और रीटा को तूफान मे लपैट दिया था । और खोन खराबा, फितना फसाद तो बिल्कुल पसंद नही: जहां कहीं ईसा हो फ़ोरन अपनी आनखें बंद कर लेता है, किसी पर जुल्म होते देखना भी गवारा नही क्योंकि दिल कमजोर है । शैतान ने खुदा को टोका कि वे तो कभी का कंगाल हो चुका है क्योंकि नोट छापने वाली मशीन इनसानों के पास है । खुदा ने हिम्म्त बान्धी कि दुनिया तो उसके अपने ख्बजे मे है । शैतान फिर छेडा मगर खुदा तो अमेरीका के खबजे मे है । सब के सामने यों शर्मिन्दा होना खुदा को बिल्कुल पसंद नही और वे गायब होने कि लिये हिन्दुस्तान और पाकिस्तान कि सरहद पर पहुंच गया, जिस से सरहद पर जबरदसत भूकंप हो उठा, इस से पहले कि खुदा गायब हो जाता लोगों ने अपना फ़ैसला सुना दिया: माना कि हमारा आपस मे मिल जुल कर रहना तुझे पसंद नही, हमें ये भी यक़ीन है इस मे शैतान का कोई दोश नही, भले तो इस दुनिया का मालिक मगर अमेरिका के आगे कुछ भी नही । ईराकी, फ़लस्तीनी और बोसनिया के लोग तो पागल हैं जो सालों से तुझे पुकारते रहे तो इतना लाचार इन पागलों को मालूम नहीं - - आगे और भी है

बाखी फिर कभी